Friday, December 16, 2011

बांग्लादेश को पाकिस्तान सेना की प्रताड़ना से मुक्ति 16 दिसंबर 1971 को मिली थी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को परास्त कर बांग्लादेश को आजादी दिलवायी थी। मेरे पापा भी इस ऐतिहासिक जीत में शामिल थे। वे अक्सर मुझे इस जंग के किस्से सुनाते हैं - हम पाकिस्तान के भीतरी हिस्से में घुस गए थे। गाँव के गाँव खाली थे। वहां मुर्गे पकडते और पका के खाते। दुश्मन के घर में बैठ कर दावत उड़ाने की बात ही कुछ और थी। पाकिस्तान के करीब एक लाख सैनिक हमने बंदी बना लिए थे। रोज़ रात को रेडिओ पे एक एक पाक सैनिक परिजनों को अपने खैर से होने की सुचना देता। इस जंग में मुझे सेना की तरफ से कई मैडल मिले। ये मेरे जीवन की सबसे कीमती चीज हैं । जय हिंद जय भारत।
पापा मुझे आप पर गर्व है ...

Saturday, October 15, 2011

मुझे पता है उसे चाँद निकलने का बेसब्री से इंतज़ार है
इसलिए नहीं के वो दिन भर से भूखी है
इसलिए क्योंकि उसे चाँद में मेरा अक्स देखना है ...

Monday, October 10, 2011

जगजीत जी नहीं रहे, मेरे लिए ये महज एक खबर नहीं है। बचपन से एक खवाब था उनको लाइव देखने सुनने का , जो इस जनम में पूरा न हो सका। गांव में मेरे घर में मेरे कमरे में उनकी एक बड़ी सी तस्वीर लगी है। रह रह कर मुझे आज वो याद आ रही है ।
जगजीत जी, आपकी आवाज़ मेरी रूह में बसी है .....

Tuesday, September 20, 2011

कैसे कहूं कि मैंने ज़िन्दगी में महज तीन गलतियां कि हैं,
उन नेकियों को कौन गिनेगा, जो गुनाहों में बदल गईं
अजीत धनखर
थ्री मिस टकेस ऑफ़ माय लाइफ को सोच के ये ख्याल आया

Wednesday, September 14, 2011

सारा आलम उदास बैठा है,
मौसमे गुल ने खुदकुशी कर ली
किसने बारूद बोया वादी में
गुलजार

Saturday, April 16, 2011

जानबूझकर हर्ट करने वालों से रिश्ता खत्म
मुझमें सबसे बड़ी बुराई शायद ये है कि मैं हद से ज्यादा भावुक हूं। मैं लोगों को माफ़ करने के बजाय उनसे रिश्ता ख़त्म कर लेता हूं। आप गलती कीजिये, लेकिन अपनी गलती को मानिए, मैं माफ़ कर दूंगा। लेकिन जान बूझकर बार बार मेरी भावुकता का फायदा उठाएंगे तो मैं कभी माफ़ नहीं करूंगा। मैं बदकिस्मत हूं कि मुझे इमोशनली हर्ट करने वाले लोग जिंदगी में बार बार मिले। इनमें ज्यादातर मेरे करीबी थे। मुझे भावनात्मक सदमे से उबरने में बहुत वक़्त लगता है। ये किसी भी इंसान के लिए ठीक नहीं है।

Friday, April 15, 2011

हजारों ख्वाहिशें ऐसी के हर खवाहिश पे दम निकले,
बहुत खंगाली मैंने जेबें, पैसे फिर भी कम निकले

Saturday, April 9, 2011

बाबू समझो इशारे, अन्ना पुकारे पम पम पम, यहाँ नेता तो यारो, बेशर्म हैं सारे पम पम पम पब्लिक करप्सन के मारे, दुखी है प्यारे पम पम पम अब आ जाओ सारे, करप्सन को मारें पम पम पम बाबू समझो इशारे, अन्ना पुकारे पम पम पम -अजीत

Monday, March 28, 2011

मैं नेकियाँ करता हूँ और दरिया में डाल देता हूँ एक रोज़ जब ये दरिया भर जाएगा तो क्या करूँगा ??? अजीत

Wednesday, March 16, 2011

मौत तू एक कविता है

मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नज्मों में जब दर्द को नींद आने लगे
जर्द सा चेहरा लिए जब चाँद उफक तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अँधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
(इस कविता को फिल्म आनंद में डॉक्टर भास्कर बनर्जी नाम के किरदार के लिए गुलज़ार साहेब ने लिखा था। ये किरदार अमिताभ बच्चन ने निभाया था.)

Tuesday, March 8, 2011

दिल में जितने थे अरमान ले गए,
कश्तियाँ अपने संग तूफ़ान ले गए
मुझे दोस्तों ने कत्ल किया था,
दुश्मन मुझे श्मसान ले गए
आइने का सामना करूँ भी तो कैसे,
वो मुझसे मेरी पहचान ले गए
ओरत के जिस्म को साड़ी में लपेटा जिन्होंने,
बाज़ार तक उसे वाही कद्रदान ले गए
-अजीत धनखर

Tuesday, January 18, 2011

चूड़ियां

मैंने चूड़ियां खरीदी हैं तुम्हारे लिए
मेहरून और सुनहेरे रंग की
भाई साहेब, ये हर लिबास पे जचेंगी
यही कहा था बेचने वाले ने
या तो उसे चूड़ियां बेचनी थी या
वो मुझे बहला रहा था
खैर, मुझे तो पसंद आई
शायद तुम्हे भी आएँगी
जब ये तेरी की कैदी बन जाएँगी
मेरे प्यार की कीमत वसूल हो jayegi