Monday, October 10, 2011

जगजीत जी नहीं रहे, मेरे लिए ये महज एक खबर नहीं है। बचपन से एक खवाब था उनको लाइव देखने सुनने का , जो इस जनम में पूरा न हो सका। गांव में मेरे घर में मेरे कमरे में उनकी एक बड़ी सी तस्वीर लगी है। रह रह कर मुझे आज वो याद आ रही है ।
जगजीत जी, आपकी आवाज़ मेरी रूह में बसी है .....

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