Thursday, December 31, 2009

जख्म और सर्दी की धूप

जख्मों को सर्दी की धूप जरा लगने दो
जख्म फिर खायेंगे भूख जरा लगने दो
वफ़ा वसूल हो जाएगी, जल्दी क्या है
कुछ रोज ठहरो, सूद जरा लगने दो
अजीत

नया साल मुबारक हो

ब्लॉग की दुनिया से जुड़े सभी दोस्तों को नई साल की बहुत सारी सुभकामनाए

Saturday, December 12, 2009

तितलियाँ और घास

चाँदनी पहने रात यू चले आकाश में,
सावली सी लड़की जैसे सफेद लिबास में
काश तुम मेरे होते ! तुमने कहा था,
कितना दर्द छुपा था उस काश में
जा जा के तितलियाँ चूमती हैं उसे,
तुमने पाँव रखे थे जिस घास में
उमर भर उसका कोई सुराग नही मिला,
जिंदगी भर जिन्दा रहे जिस जिंदगी की तलाश में
अजीत

Saturday, November 21, 2009

चाय

उस शब्नमी शाम के साए तले
रसोई में तेरे साथ बैठ कर
तेरे हाथों से बनी चाय पी थी
चाय में चीनी ठीक थी फिर भी
मैंने जानबूझ कर तेरी इक उंगली कप में डुबोई थी
आज भी जब चाय पीता हू तो
वो शाम याद आती है
मैं तुम्हे सोचता रहता हू और
चाय ठंडी हो जाती है
अजीत धनखर

Monday, October 26, 2009

हम गीत हैं वक्त के लब के

तुम किसे रुख्सत करोगे गले लग के
जाने वाले जा चुके कब के
अपना मिलना, मिल के बिछुड़ना
अच्छे बुरे सब फैसले रब के
उदासियों का बादल ऐसा उठा
दामन भिगो गया सबके
सारे साहिल बहा ले गई
ऐसे एक मौज आई अब के
एक रोज़ हवाओं मैं बिखर जायेंगे
हम गीत हैं वक्त के लब के
अजित धनखर

Thursday, September 3, 2009

मौसम के लिबास

घटाओ की चुनरी उड़ चली आसमा के सर से
और लहरा गई ज़मी पे जुनू की तरह
बूंदों ने चूम लिए प्यासी ज़मीन के लब
बावरी हवा की सरगोशी से पगला गए पेड
लाख शिकवा करे कोई क्योँ देर से बरसे बदरा
मौसम की मरजी है, जब चाहे जैसे लिबास पहने
अजीत

Tuesday, July 21, 2009

हसरते-परवाज़

ग़ज़ल से जब लहू टपक जाएगा ,
मौसमे-फुरकत तब ओर महक दे जाएगा
तलब थी जख्मों को मरहम की मगर,
किसे ख़बर थी वो नमक दे जाएगा
हसरते-परवाज़ रखो अपने दिल में,
कभी कोई परिंदा फलक दे जाएगा
यू शोकिया गम को गले ना लगा ,
उम्रभर के लिए कसक दे जायेगा
-अजीत

सलाम

सारे ब्लोगेर्स को अजित का प्यार भरा सलाम. मेरी हसरतों के साथ अपनी हसरतों को जोडें.