Monday, March 28, 2011

मैं नेकियाँ करता हूँ और दरिया में डाल देता हूँ एक रोज़ जब ये दरिया भर जाएगा तो क्या करूँगा ??? अजीत

Wednesday, March 16, 2011

मौत तू एक कविता है

मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नज्मों में जब दर्द को नींद आने लगे
जर्द सा चेहरा लिए जब चाँद उफक तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अँधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
(इस कविता को फिल्म आनंद में डॉक्टर भास्कर बनर्जी नाम के किरदार के लिए गुलज़ार साहेब ने लिखा था। ये किरदार अमिताभ बच्चन ने निभाया था.)

Tuesday, March 8, 2011

दिल में जितने थे अरमान ले गए,
कश्तियाँ अपने संग तूफ़ान ले गए
मुझे दोस्तों ने कत्ल किया था,
दुश्मन मुझे श्मसान ले गए
आइने का सामना करूँ भी तो कैसे,
वो मुझसे मेरी पहचान ले गए
ओरत के जिस्म को साड़ी में लपेटा जिन्होंने,
बाज़ार तक उसे वाही कद्रदान ले गए
-अजीत धनखर