Thursday, July 29, 2010

चाँद अलफ़ाज़

हर जगह जाहिर है हर जगह हाज़िर है,
खुदा हर इल्म का माहिर है
रख के जेब में दुनिया घूमता है,
वक़्त एक मनचला मुसाफिर है

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