Saturday, January 16, 2010

धुंध में लिपटा शहर

सूरज पिछले कई दिनों से है छुट्टी पर
गैर हाजिरी लगने के डर से बेखबर
गीले कपड़े अभी तक गीले हैं
पेड़ भी हवा ने बेदर्दी से छीले हैं
सड़कें दिनभर खाली खाली सी रहती हैं
गाड़ियां दौड़ती नहीं अब रेंगती हैं
ख्यालों में सबके धूप है, सबको धूप का ख़याल है
कई दिनों से धुंध में लिपटे शहर का ये हाल है

धुंध में लिपटे अमृतसर को देखकर ये ख्याल आया

1 comment:

  1. bahut sunder...
    kuch nayapan hai rachna mein :)
    Keep writing!

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