Saturday, December 12, 2009

तितलियाँ और घास

चाँदनी पहने रात यू चले आकाश में,
सावली सी लड़की जैसे सफेद लिबास में
काश तुम मेरे होते ! तुमने कहा था,
कितना दर्द छुपा था उस काश में
जा जा के तितलियाँ चूमती हैं उसे,
तुमने पाँव रखे थे जिस घास में
उमर भर उसका कोई सुराग नही मिला,
जिंदगी भर जिन्दा रहे जिस जिंदगी की तलाश में
अजीत

11 comments:

  1. Chandanee pahne raat yun chale...kitnee manbhavan pankti hai..pahlee hee panktee ne man moh liya!

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  2. बहुत सुन्दर...लिखते रहें... शुभकामनाएं... Word verification हटा लें...इससे असुविधा होती है...

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  3. अजीत जी,
    बधाई हो. अच्छी पंक्तियाँ हैं.

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  4. Kitnehee kaash aise rah jate..jahan aake ham ruk jate hain

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  5. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है अपने विचारों की अभिव्यक्ति के साथ साथ अन्य सभी के भी विचार जाने..!!!लिखते रहिये और पढ़ते रहिये....

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  6. Bahut khubsurat vichar hai aapke. Mere blog par aapka swagat hai. http://jazbaat.blogspot.com

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  7. सुंदर भाव
    हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
    और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये

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  8. चाँदनी पहने रात यू चले आकाश में,
    सावली सी लड़की जैसे सफेद लिबास में......

    बहुत सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।

    pls visit...
    http://dweepanter.blogspot.com

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  9. nice one ..
    "kitna dard chhupa tha us kaash mein"
    very decent kind of imagination.....

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