कभी मद्धम चमकीले दिन
शबनम कभी शोले दिन
गर्मी की शरबत में घुल के
मानो खुद को भूले दिन
बारिश में बिस्तर पर लेटे
कुछ सूखे कुछ गीले दिन
सर्द हवा में अलाव सेंकते
सर्दी के अलबेले दिन
नई शाख पर जा कर अटके
बसंत के नर्म रुपहले दिन
मुझको कितने अपने लगते
मौसम के मुह्बोले दिन
अजीत
Saturday, January 23, 2010
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अच्छी नज़्म ....आपमें हुनर है लिखते रहे .......!!
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