कभी मद्धम चमकीले दिन
शबनम कभी शोले दिन
गर्मी की शरबत में घुल के
मानो खुद को भूले दिन
बारिश में बिस्तर पर लेटे
कुछ सूखे कुछ गीले दिन
सर्द हवा में अलाव सेंकते
सर्दी के अलबेले दिन
नई शाख पर जा कर अटके
बसंत के नर्म रुपहले दिन
मुझको कितने अपने लगते
मौसम के मुह्बोले दिन
अजीत
Saturday, January 23, 2010
Saturday, January 16, 2010
धुंध में लिपटा शहर
सूरज पिछले कई दिनों से है छुट्टी पर
गैर हाजिरी लगने के डर से बेखबर
गीले कपड़े अभी तक गीले हैं
पेड़ भी हवा ने बेदर्दी से छीले हैं
सड़कें दिनभर खाली खाली सी रहती हैं
गाड़ियां दौड़ती नहीं अब रेंगती हैं
ख्यालों में सबके धूप है, सबको धूप का ख़याल है
कई दिनों से धुंध में लिपटे शहर का ये हाल है
धुंध में लिपटे अमृतसर को देखकर ये ख्याल आया
गैर हाजिरी लगने के डर से बेखबर
गीले कपड़े अभी तक गीले हैं
पेड़ भी हवा ने बेदर्दी से छीले हैं
सड़कें दिनभर खाली खाली सी रहती हैं
गाड़ियां दौड़ती नहीं अब रेंगती हैं
ख्यालों में सबके धूप है, सबको धूप का ख़याल है
कई दिनों से धुंध में लिपटे शहर का ये हाल है
धुंध में लिपटे अमृतसर को देखकर ये ख्याल आया
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