Thursday, December 31, 2009

जख्म और सर्दी की धूप

जख्मों को सर्दी की धूप जरा लगने दो
जख्म फिर खायेंगे भूख जरा लगने दो
वफ़ा वसूल हो जाएगी, जल्दी क्या है
कुछ रोज ठहरो, सूद जरा लगने दो
अजीत

नया साल मुबारक हो

ब्लॉग की दुनिया से जुड़े सभी दोस्तों को नई साल की बहुत सारी सुभकामनाए

Saturday, December 12, 2009

तितलियाँ और घास

चाँदनी पहने रात यू चले आकाश में,
सावली सी लड़की जैसे सफेद लिबास में
काश तुम मेरे होते ! तुमने कहा था,
कितना दर्द छुपा था उस काश में
जा जा के तितलियाँ चूमती हैं उसे,
तुमने पाँव रखे थे जिस घास में
उमर भर उसका कोई सुराग नही मिला,
जिंदगी भर जिन्दा रहे जिस जिंदगी की तलाश में
अजीत